जानिए होम्योपैथी क्या है? होम्योपैथिक दवाएं कैसे बनती हैं और इस्तेमाल करने का तरीक़ा - Saralpathy

जानिए होम्योपैथी क्या है? होम्योपैथिक दवाएं कैसे बनती हैं और इस्तेमाल करने का तरीक़ा

होम्योपैथी क्या है?होमियोपैथी ऐसे सिद्धांत पर काम करती है या जिसे हम आसान भाषा में यह कह सकते हैं कि जैसे लोहा, लोहे को काटता है अथवा गर्मी, गर्मी से
होम्योपैथी क्या है? होम्योपैथिक दवाएं कैसे बनती हैं? होम्योपैथिक दवाइयों की शक्तियां, सावधानियां तथा कैसे प्रयोग करें।
होम्योपैथी क्या है?

होम्योपैथी कैसे काम करती है और होम्योपैथी की छोटी -छोटी गोलियां
होम्योपैथी का आविष्कार सर्वप्रथम जर्मनी में हुआ था। इसका आविष्कार जर्मन के सुप्रसिद्ध वह मशहूर डॉक्टर हैनीमैन ने किया था। यह एक अत्यंत पुरानी चिकित्सा पद्धति है। होम्योपैथी में किसी बीमारी का इलाज उन दवाओं द्वारा किया जाता है जिन दवाओं का परीक्षण पहले ही किसी स्वस्थ मनुष्य पर किया जा चुका हो।
होमियोपैथी ऐसे सिद्धांत पर काम करती है या जिसे हम आसान भाषा में यह कह सकते हैं कि जैसे लोहा, लोहे को काटता है अथवा गर्मी, गर्मी से दूर होती है। होमियोपैथी का मूल सिद्धांत जिसे लैटिन भाषा में "Similla Similibus Curantur" कहते हैं जिसका हिंदी में अर्थ होता है "जहर के लिए जहर" इसे हम सीधी आसान  भाषा में यह कह लें कि अगर किसी मनुष्य के शरीर में जहर फैल जाए तो उसका इलाज उसके शरीर में जहर पहुंचाकर  किया जाना चाहिए।
होम्योपैथी कुछ इस तरह कार्य करती है कि यदि किसी औषधि को किसी स्वस्थ मनुष्य के प्रयोग करने से जो रोग उत्पन्न हो जाएं तो जो स्वस्थ मनुष्य के शरीर में जितने रोग उत्पन्न हुए हैं इन रोगों से ग्रसित अगर कोई मनुष्य उस औषधि का प्रयोग कर ले तो यह औषधि उन रोगों को समाप्त कर उस मनुष्य के शरीर को स्वस्थ कर देगी।
उदाहरण के लिए यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति अफीम का सेवन कर लेता है तो मनुष्य के अंदर दिमागी असंतुलन जैसे मानसिक भ्रम होना, कुछ का  कुछ दिखाई देना, कभी हंसना तो कभी जोर-जोर से रोना, ज्यादा बोलना, अपने आप से बातें करना, सिर दर्द होना, काम उत्तेजना, पेशाब संबंधी रोग का उत्पन्न होना इत्यादि  प्रकार के लक्षण पैदा हो जाते हैं तो यदि कोई मनुष्य बिना किसी दुष्प्रभाव के इन सभी रोगों से ग्रसित हो तो उस मनुष्य को भांग से बानी दवा का सेवन करने से ये सभी रोग दूर हो जाएंगे यही कारण है कि होम्योपैथी सर्वाधिक रोगी के रोग के लक्षणों पर विशेष ध्यान दिया जाता है रोगी के लक्षण होम्योपैथिक दवाओं के लक्षणों से अवश्य मेल खाना चाहिए नहीं तो उस व्यक्ति को होम्योपैथिक दवा बिल्कुल फ़ायदा नहीं करेगी।
होम्योपैथिक दवाएं किन-किन चीजों से तैयार की जाती हैं
होम्योपैथिक दवाएं वनस्पतियों, पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं या फिर पृथ्वी पर उपस्थित किसी भी पदार्थ से बानी हो सकती हैं होम्योपैथिक दवाओं के लिए पेड़ पौधों का रस, मनुष्य में होने वाले रोग से निकलने वाले स्वास्थ्य या  जहरीले स्त्रावों, सांप अथवा बिच्छू या  कीड़ों में पाए जाने वाले  विषों,  खाद्य पदार्थों में प्रयोग होने वाले तेल रासायनिक पदार्थों अथवा खनिज लवणों से होम्योपैथिक दवाओं को तैयार किया जाता है, होम्योपैथिक दवाएं अपने मूल अर्कों, विचूर्ण, अथवा पोटेंसी के रूप में भी हो सकती हैं।
होम्योपैथिक दवाओं में प्रयोग होने वाली सामग्री
होम्योपैथिक दवा में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न तत्व के प्रकार निम्नलिखित है
कैन-शुगर या साधारण चीनी - गोलिया बनाने के लिए
मिल्क शुगर या दूधिया-चीनी - सूखी दवा में मिलाने के लिए
डिस्टिल्ड वॉटर - तरल  दवाइयों को बनाने के लिए
अल्कोहल - उच्च शक्ति वाली दवा बनाने के लिए
वैसलीन - मरहम  बनाने के लिए
ईथर - दवाइयों का संरक्षण करने के लिए
सिंपलेक्स - होम्योपैथिक सिरप दवा तैयार करने के लिए
होम्योपैथिक दवाइयों की शक्तियां -
मूल-अर्क: पेड़-पौधों तथा वनस्पतियों से प्राप्त होने वाली दवाओं को या जो हमें तरल द्रव्य के रूप में प्राप्त होती हैं और वह अल्कोहल में घुलनशील भी होती हैं तो इन दवाओं को मूल-अर्क  के रूप में तैयार किया जाता है इन मूल-अर्क दवाओं में अल्कोहल की मात्रा 10 से 20% से लेकर 80% तक हो सकती है।
विचूर्ण: ऐसे पदार्थ जो हम Dry Form खुशक रूप में ईपलब्ध होती हैं और उन्हें हम अल्कोहल में घोल नहीं सकते उन्हें मिल्क- शुगर  के साथ प्रयोग किया जाता है और दवा तैयार की जाती है।
शक्ति: यह  दवा की शक्ति किसी दवा की  मूल मात्रा लेकर उसमें अल्कोहल मिलाया जाता है दवा की मूल मात्रा में अल्कोहल की मात्रा 1 %  से लेकर 99.99 तक हो सकती है दवाई की शक्तियां 3x , 6x , 12x. , 200x 30 . 200 तथा 1 M  से लेकर  लाखों में भी हो सकती है
होम्योपैथिक दवाओं को कब और कितनी बार तथा कैसे प्रयोग करना चाहिए
होम्योपैथिक दवाओं को बीमार की बीमारी की गंभीरता को देखते हुए प्रयोग किया जाना चाहिए जितना ही गंभीर मरीज हो दवा को उतनी ही  जल्दी-जल्दी प्रयोग  करना चाहिए बीमारी जितनी पुरानी हो दवा की शक्ति भी उतनी ही उच्च रखनी चाहिए रोगी के रोग की गंभीरता को देखते दवाइयों को कभी-कभी 10 से 15 के मिनट के अंतर से अथवा दिन में कई कई बार तक दी सकती है और उच्च शक्ति में दवाएं हफ्ते, दो हफ्ते , महीने 3 महीने 6 महीने  बाद तक दी जाती हैं।
मरीज को एक खुराक दवा खिलाने के बाद मरीज के रोग के लक्षणों में बदलाव तथा दवाई के प्रयोग की प्रतीक्षा करनी चाहिए और जब रोगी के लक्षण पुनः वापस लौटने लगे तब तुरंत दवा की दूसरी खुराक देनी चाहिए और इस प्रकार रोगी के रोग के  खत्म होने तक की दवा का प्रयोग करना चाहिए।
होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग खाली पेट अथवा खाना खाने के 30 मिनट पूर्व करना चाहिए और जब तक दवा का उपयोग करें तब तक दवा के आगे पीछे 10 से 15 मिनट कुछ खाएं होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग करते समय मुंह को साफ सुथरा रखें और दवा के साथ ऐसी चीज का प्रयोग ना करें कि दवा के प्रभाव में कमी जाए।
होम्योपैथिक दवाओं के इलाज के दौरान किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
किसी व्यक्ति की बीमारी का होम्योपैथिक दवाओं द्द्वारा इलाज करते समय निम्नलिखित बातों का विशेष  ध्यान रखना चाहिए।
सर्वप्रथम किसी रोगी का इलाज करने से पूर्व उसके रोगों की हिस्ट्री के बारे में पूरी जानकारी एकत्रित करें।
रोगी के लक्षणों की पूरी छानबीन करने के बाद रोगी के लक्षणों का ध्यान में रखते हुए दवाइयों का चुनाव करें।
हर व्यक्ति के रोगों के लिए सदैव एक ही दवा का चुनाव ना करें क्योंकि लक्षणों के हिसाब से एक एक ही रोग के लिए अलग-अलग दवाइयां हो सकती हैं।
इलाज सदैव बीमारी का नहीं बल्कि बीमार का करें
सदेव एक समय में केवल एक ही दवा का उपयोग करें दवा के कार्य करने पर लक्षण के हिसाब से दूसरी दवा का चयन करें।
होम्योपैथिक दवाओं की शक्तियों का चुनाव करते समय सर्वप्रथम कम शक्ति की दवा का चुनाव करें और उस दवा के कार्य करने पर उच्च शक्ति की दवा का प्रयोग करें।
होम्योपैथिक दवाओं के प्रयोग के दौरान दवाओं में बदलाव लाने वाले पदार्थ जैसे कच्चा लहसुन कच्चा प्याज अधिक खट्टी और कड़वी चीजें अत्यधिक सुगंधित पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
आखिर में कुछ शब्द... 

होम्योपैथी एक बहुत ही सुप्रसिद्ध और उत्कृष्ट व अत्यंत पुराना इलाज है होम्योपैथी इलाज न केवल सस्ता इलाज है बल्कि या आसान भी है होम्योपैथी से बहुत से गंभीर रोगों का सफल इलाज किया जा सकता है। होम्योपैथी का और एक एडवांटेज यह भी है कि यह  किसी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाती है। अगर आप किसी रोग से पीड़ित हैं आपको कोई बहुत पुराना रोग है और बहुत सारे इलाज कर के थक गए हैं तो एक बार होम्योपैथी का प्रयोग अवश्य करके देखना चाहिए क्योंकि बहुत बार ऐसा होता है की एलोपैथिक, आयुर्वेदिक दवाइयां जहाँ काम नहीं करती हैं जहां पर होम्योपैथी आपके उस रोग को खत्म कर सकती है। 
अस्वीकरण: इस ब्लॉग पर उपलब्ध सामग्री केवल इन्फॉर्मेशनल उद्देश्य के लिए है और किसी चिकित्सक या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के परामर्श, निदान या चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए सदैव किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। Saralpathy इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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