धात रोग | लक्षण | कारण | उपाय और होम्योपैथिक इलाज - Saralpathy

धात रोग | लक्षण | कारण | उपाय और होम्योपैथिक इलाज

अधिक दिनों तक स्वप्नदोष की बीमारी अथवा हस्थमैथुन के कारण धात रोग हो जाना। पेशाब में धात गिरना या मल त्याग के समय धात आना। धात रोग से बचने के उपाय Top दवाएं
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धात रोग क्या है? धात रोग के लक्षण तथा धात रोग के कारण

dhat rog ki beemari hone se tension men yuvak

धात रोग और धात रोग के लक्षण
"पैखाना-पेशाब अथवा मल मूत्र त्याग के समय वीर्य का निकल जाना अथवा किसी स्त्री को देखकर लिंग में एकाएक उत्तेजना पैदा हो जाना जिससे लिंग से पानी या धात का गिरने लगना शुक्रमेह(spermatorrhea) अथवा धातु रोग अथवा धात सिंड्रोम (Dhat Syndrome) अथवा 'धात रोग' कहलाता है।"
कभी-कभी यह हमारे मल त्याग अथवा पेशाब करने के बाद बूंदों के रूप में निकलता रहता है और हमें पता तक भी नहीं चलता, और यह लिंग से गिरने वाला पानी धात ही होती है। और इस प्रकार से हमारे शरीर से धात का निकलना अथवा गिरना या गिरते रहना धात रोग का कारण बन जाता है। हमारे शरीर से धात निकालने के साथ-साथ में कभी-कभी पेशाब में जलन भी होने लगती है या फिर बिना जलन के ही धात रोग हो सकता है। रोगी धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है और अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो इससे यौन संबंध बहुत सारी अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। अधिक धात निकल जाने पर हमारे वीर्य में शुक्राणु की कमी हो सकती है जिससे नामर्दी अथवा इनफर्टिलिटी का भी शिकार हो सकते हैं तथा काफी समय तक धातु रोग रहने से मूत्र तंत्र संबंधी रोग और समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।

धात रोग होने के कारण

होम्योपैथी में धात रोग के निदान के लिए कई दवाएं मौजूद हैं जिनका उपयोग करके आप धात रोग से छुटकारा पा सकते हैं तो आइए जानते हैं कि कौन-कौन सी दवाएं हैं जो धात रोग के लिए फायदेमंद है।

सेलेनियम
जब किसी रोगी को अत्यधिक वीर्य रस होने के बाद उसका वीर्य बहुत पतला हो जाए और उसे किसी प्रकार की दुर्गंध नहीं आती हो। रोगी के अंग-प्रत्यंग ढीले पड़ गए हो तथा रोगी की केवल हड्डियां दिखाई दे रही हो तथा उसके मल-मूत्र अथवा पेशाब करते समय जोर लगाने से लिंग से वीर्य निकलता हो तो यह दवा फायदा करती है।

एसिड फास
जब किसी को बहुत ज्यादा हस्तमैथुन करने के बाद धात की बीमारी हो जाए और अत्यधिक कमजोरी का अनुभव हो। रोगियों के कलेजे में थरथराहट सी महसूस हो। रोगियों को कभी-कभी दूधिया पेशाब हो जाए तो इस प्रकार के धात के रोगियों के लिए होम्योपैथिक दवा एसिड फास अत्यंत लाभदायक है।

एल्युमीना
जब अत्यधिक कब्ज की वजह से धात की बीमारी हो जाए तथा धात का क्षय हो। मल-त्याग के समय धात निकल जाए या फिर मल-त्याग के समय कांखने से वीर्य निकल जाए तथा जवानी में ही युवक बूढ़ों जैसे दिखने लगे तो होम्योपैथिक दवा एलुमिना का सेवन करना चाहिए।

सैलिक्स नाइग्रा (Salix Nigra)
जब किसी को हस्तमैथुन की आदत पड़ने के बाद धात रोग हो जाए उसके साथ में स्त्री- संसर्ग की बहुत ही प्रबल इच्छा हो। लेकिन व्यक्ति के लिंग में शक्ति बिल्कुल नहीं रहती है जिससे रोगी को शुक्रमेह की बीमारी लग जाती है। और रोगी को पखाना-पेशाब अथवा मल मूत्र त्याग के समय धात निकल जाया करती है। रोगी का लिंग फूला हुआ होता है तथा उसके लिंग में दर्द रहता है तथा इसके साथ साथ पेशाब की नली में भी दर्द रहता है। तो किसी व्यक्ति में धात के इस प्रकार के लक्षण रहने पर होम्योपैथिक दवा सैलिक्स नाइग्रा (Salix Nigra) से राहत मिलती है।

वायोला ट्राइकलर (Viola Tricolor)
जब किसी रोगी को धातु रोग के साथ-साथ उसके लिंग में रोग हो जाए तो यह दवा ज्यादा फायदा करती है। इसमें रोगी को एक्जिमा की कड़ी बीमार रहती है। व्यक्ति के लिंग में अधिक चर्म रोग और उसके साथ लिंक फूला हुआ होता है उसमें खुजली की प्रवृत्ति रहती है तथा मल-मूत्र त्याग के समय वीर्य के निकल जाने में (spermatorrhea) में इससे फायदा होता है।
अस्वीकरण: इस ब्लॉग पर उपलब्ध सामग्री केवल इन्फॉर्मेशनल उद्देश्य के लिए है और किसी चिकित्सक या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के परामर्श, निदान या चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए सदैव किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। Saralpathy इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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