न्यूमोनिया के लक्षण, कारण और होम्योपैथिक दवा - pneumonia Treatment in Hindi - Saralpathy

न्यूमोनिया के लक्षण, कारण और होम्योपैथिक दवा - pneumonia Treatment in Hindi

न्यूमोनिया का रोग अधिकतर बच्चों को ही अटैक करता है। लेकिन इसकी चपेट में किसी भी आयु वर्ग के लोग चाहे वो बच्चे, बूढ़े या फिर जवान हों, कोई भी आ सकता है
न्यूमोनिया
न्यूमोनिया का रोग अधिकतर  बच्चों को ही अटैक करता है। लेकिन इसकी चपेट में किसी भी आयु वर्ग के लोग चाहे वो बच्चे, बूढ़े या फिर जवान हों, कोई भी आ सकता है। जब किसी मनुष्य के फेफड़े में सूजन आ जाती है तो यह रोग हो जाता है।
pneumonia effect on a Child


न्यूमोनिया रोग की अवस्थाएं 
न्यूमोनिया रोग की  पहली अवस्था - कारण और लक्षण: 
रोगी को प्रारंभिक अवस्था में ठंड और सर्दी लगती है और सर्दी का प्रभाव अधिक दिनों तक बने रहने से फेफड़ों में सूजन पैदा होने लगती है जिससे यह यह न्यूमोनिया रोग का रूप लेने लगती है
न्यूमोनिया रोग होने से साँस लेने में कष्ट होता है पसलियों में कम्पन के साथ - साथ  रोगी का पूरा शरीर थरथराने लगता है रोगी को तेज बुखार , बेचैनी , और बार बार पानी पीना आदि लक्षण रहते हैं

न्यूमोनिया रोग की दूसरी अवस्था - कारण और लक्षण: 
जब न्यूमोनिया का रोग थोड़े दिनों तक रह जाता है तो न्यूमोनिया रोग की दूसरी अवस्था उत्पन्न होने लगती है इस अवस्था में रोग की फेफड़ों में बलग़म जमा होने लगता है रोगी के जोर लगाने पर बलग़म बहुत ही मुश्किल से निकलता है और आदिक जोर लगाने पर बलग़म में बलग़म के साथ खून भी आने लगता है और फेफड़ा कड़ा हो जाता है

न्यूमोनिया रोग की तीसरी अवस्था - कारण और लक्षण:
रोगी को तीसरी अवस्था में रोगियों के फेफड़ों में जमा बलग़म ढीला पड़ने लगता है, जिससे रोगी को आराम पहुँचता शरू है रोगी के फेफड़े पुनः काम करने लगते हैं  क्योंकि रोगी के फेफड़ों में जमा हुआ स्त्राव फेफड़ों में जज्ब होने लगता है यदि  रोगी के फेफड़ों में जमा हुआ स्त्राव फेफड़ों में जज्ब न हो तो रोगी की जान भी जा सकती है इसलिए न्यूमोनिया रोग की प्रारम्भिक अवस्था में किसी योग्य डॉटर से सलाह लेनी चाहिए और उसके अनुसार ही इलाज करना चाहिए और यह रोग हो जाने लापरवाही बिलकुल नहीं बरतनी चाहिए

एकोनाइट 
यह होम्योपैथिक दवा निमोनिया की प्रारंभिक अवस्था में काम करती है और विशेषकर बच्चों के निमोनिया के लिए लाभदायक है। जब किसी को अचानक निमोनिया हो जाए या निमोनिया की शुरुआत हो उसके साथ में रोगी को तेज बुखार और बेचैनी हो, रोगी को डर लगता है तथा वह बार-बार पानी मांगता है उसके साथ में खुश्क खांसी आना आदि लक्षण हैं तो ऐसे रोगियों के लिए निमोनिया की होम्योपैथिक दवा एकोनाइट फायदा करती है।

आर्सेनिक एल्बम
जब किसी को निमोनिया हो जाए तो उसका रोग आधी रात के बाद बढ़ जाए और वह अत्यंत बेचैन दिखाई पड़े और वह बार-बार बिस्तर पर इधर-उधर करवट बदलता हो तथा उसके साथ तेज प्यास तो ऐसे निमोनिया के रोगियों के लिए आर्सेनिक फायदेमंद है, होम्योपैथ को सदैव निमोनिया के रोगियों के इन तीन लक्षणों 1.बेचैनी 2.शरीर में दाह और 3.प्यास पर सदैव नजर रखनी चाहिए अगर यह तीन लक्षणों से कोई भी लक्षण रोगी में मौजूद न हो तो होम्योपैथ को समझ लेना चाहिए कि उस निमोनिया के रोगी को आर्सेनिक दवा बिल्कुल फायदा न करेगी।

बेलाडोना 
जब किसी निमोनिया के रोगी को तेज बुखार के साथ उसमें बेहोशी छाई हो और चेहरा तथा आंखें पसीना युक्त लाल, बेलाडोना के रोगियों में ह्रदय बहुत तेज धड़कता है और उस रोगी की नाड़ी की गति पूर्ण और वेगवती होती है रोगी के मस्तिष्क में रक्त की अधिकता की वजह से सिर दर्द हो तो ऐसे रोगियों के लिए बेलाडोना का प्रयोग उचित माना जाता है।

ब्रायोनिया एल्बा 
ब्रायोनिया का प्रयोग निमोनिया के लिए तब करना चाहिए जब रोगी चुपचाप बिस्तर पर पड़ा हुआ हो और रोगी की बेचैनी खत्म हो जाए, रोगी में निमोनिया का प्रभाव उसके हिलने-डुलने से से बढ़ता हो, जब रोगी  खांसी आती है तो उसको छाती में दबाव मालूम पड़े तथा छाती व माथे में दर्द हो तो निमोनिया के ऐसे रोगियों में ब्रायोनिया विशेष फायदा करती है।


हिपर सल्फर
जब किसी रोगी में निमोनिया का रोग ठंड की वजह से बढ़ जाए तथा उस योगी में मवाद जैसा कफ निकलता हो तो निमोनिया के ऐसे रोगियों के लिए होम्योपैथिक दवा हिपर सल्फर से विशेष फायदा होता है।


मर्क साल
जब किसी निमोनिया के रोगी को खूब पसीना आए मगर किसी तरह से भी आराम न मिल रहा हो और उस रोगी की निमोनिया में रात में वृद्धि हो, तो ऐसे निमोनिया के लक्षण के लिए मर्क साल का प्रयोग करना चाहिए।

रस टॉक्स 
किसी रोगी के निमोनिया तीसरी अवस्था में पहुंच जाए और उसे अत्यधिक बेचैनी हो, रोगी बिस्तर पर करवट बदलने से आराम महसूस करें, रस टॉक्स का प्रयोग करना चाहिए।


फास्फोरस
जब रोगी का रोग आखरी अवस्था में पहुंच जाए और उसके बलगम में खून भी आए उसके साथ में रोगी की छाती में दर्द व खांसी भी आए और रोगी बार-बार ठंडा पीने को मांगता है तो निमोनिया के ऐसे लक्षण में होम्योपैथिक दवा फास्फोरस अधिक फायदा करती है।


एंटीमोनियम टारटरिकम(ANTIMONIUM TARTARICUM)
जब निमोनिया के किसी रोगी में बलगम की अधिक मात्रा इकट्ठी हो जाए और जब वह सांस लेता है तो सांस लेने में घड़घड़ाहट जैसी आवाज आती है परंतु कफ नहीं निकलता है, रोगी में उसकी जीभ का रंग सफेद सफेद हो एंटीमोनियम टारटरिकम प्रयोग करें।


विरेट्रम एल्ब 
निमोनिया की आखिरी अवस्था में इस होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग किया जाता है इसमें रोगी का शरीर ठंडा होता है और उसके साथ में पसीना भी निकलता है।


Bottom Line 
हमने यहां पर निमोनिया के लिए जो होम्योपैथिक औषधियां अधिक रूप से प्रयोग की जाती हैं उनका वर्णन किया है यह होम्योपैथिक दवाइयां निमोनिया के लिए प्रमुख रूप से उपयोगी तथा लाभदायक है। किसी व्यक्ति को इन दवाओं का प्रयोग के साथ साथ में योगी के निमोनिया के लक्षण बढ़ने व कम करने वाले कारकों पर भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। रोगी की छाती को कंबल से ढक कर रखना चाहिए और ठंडी हवा से रोगी का बचाव करें रोगी को सदैव भोजन में हल्का गर्म खाना जैसे दलिया, खिचड़ी व दूध दे तथा पीने के लिए गुनगुना पानी का प्रयोग करें।
ऊपर दी गई दवाओं का प्रारंभिक आस्था में प्रयोग करने के बाद अगर किसी रोगी में उसके लक्षणों में बढ़ोतरी हो रही हो और उपर्युक्त बताई गई होम्योपैथिक दवाओं के प्रयोग से किसी तरीके का लाभ न दिखाई दे रहा हो तो उसे तुरंत किसी नजदीकी अच्छे होम्योपैथ से परामर्श करना चाहिए।
अस्वीकरण: इस ब्लॉग पर उपलब्ध सामग्री केवल इन्फॉर्मेशनल उद्देश्य के लिए है और किसी चिकित्सक या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के परामर्श, निदान या चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए सदैव किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। Saralpathy इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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