दमा (अस्थमा) - Top 11 होम्योपैथिक दवाएं - Saralpathy

दमा (अस्थमा) - Top 11 होम्योपैथिक दवाएं

दमा (अस्थमा), दमा (अस्थमा) होने के कारण, दमा (अस्थमा) - Top 11 होम्योपैथिक दवाएं- 1. एकोनाइट 2. आर्सेनिक एल्बम 3. नक्स वॉमिका 4. कैनाबिस इंडिका 5. हिपर सल्फर
दमा (अस्थमा)
दमा अथवा अस्थमा एक फेफड़ों से संबंधित रोग है फेफड़ों तक वायु को पहुंचाने वाली नदियों में जब बलगम अथवा श्लेष्मा की मात्रा इतनी ज्यादा जमा होने लगे और वह आसानी से बाहर नहीं निकलती है जिससे वायु का आवागमन बाधित होता है और फल स्वरुप श्वास लेना मुश्किल और कष्टदायक हो जाता है और रोगी से सायं  सायं व सीटी की आवाज आने लगती है रोगी बहुत जल्दी थक जाता है और हाफने लगता है रोगी के बोलने व बात करने पर खांसी व सीटिया जैसी आवाज निकलती है इससे रोगी फेफड़ों में ऑक्सीजन की कमी बनी रहती है और वह हवा के लिए काफी मुश्किल का सामना करता है

दमा (अस्थमा) से पीड़ित व्यक्ति

दमा (अस्थमा) होने के कारण 
अत्यधिक मानसिक उत्तेजना, ज्यादा दिनों तक प्रदूषित स्थान में रहना या नमी वाले स्थान में अत्यधिक दिनों तक रहना, सदैव कब्ज की शिकायत बनी रहना, धूल भरे वातावरण में रहना, अत्यधिक मात्रा में तेल मसालेदार या खराब भोजन करना, अत्यधिक धूम्रपान करना आदि कारण हो सकते हैं कई बार यह बीमारी वंशानुगत अर्थात हमारे पूर्वजों से भी जुड़ी हो सकती है

1. एकोनाइट
जब किसी को दमे का आक्रमण पड़ जाए तो दमा के खिंचाव तथा श्वास कष्ट की पहली अवस्था के लिए इस औषधि का प्रयोग करना चाहिए होम्योपैथिक दवा का मुख्य लक्षण यह है कि रोगी  को शुरू में बेचैनी होती है और उसके साथ-साथ मुंह का स्वाद बहुत ही ख़राब और जी मिचलाना भी इसका लक्षण है यदि किसी को सर्दी लगने से दमा हो जाए तो या उस रोगी के लिए होम्योपैथिक दवा एकोनाइट लाभदायक है

2. आर्सेनिक एल्बम
जब किसी को दमा का रोग हो जाए और उसके साथ बेचैनी प्यास हो और रोगी का रोग रात के 12:00 बजे  के बाद बढ़ जाए तो ऐसे लक्षण रहने पर होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक बहुत लाभकारी है

3. नक्स वॉमिका
जब रोगी को अस्थमा के रोग के साथ-साथ उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन और उसको पेट से संबंधित गड़बड़ी हो उसे बार बार-बार पाखाना जाने की इच्छा हो और उसका पेट साफ न हो और रोगी अत्यधिक ठंडक महसूस करें तो इस प्रकार के लक्षण में रोगी को nux-vomica का प्रयोग करना चाहिए

4. कैनाबिस इंडिका
जब किसी रोगी को दमा के साथ साथ सांस लेने मैं अत्यधिक तकलीफ हो और रोगी केवल खड़ा होकर सांस ले सके तो दमा (अस्थमा) के ऐसे लोगों के लिए कैनाबिस इंडिका का प्रयोग करना चाहिए

5. हिपर सल्फर
जब किसी दमा रोगी को अधिक ठंड लगती हो और रोगी का ठंडी चीजें प्रयोग करने से उसका रोग बढ़ता हो लेकिन रॉकी का नमी वाले स्थान में रहने से वह अपने आप में सुधार महसूस करता है तो होम्योपैथी में ऐसे रोगी के लिए हिपर सल्फर का प्रयोग किया जाता है

6. एसिड सल्फ
जब दमा रोग का कारण गंदा वातावरण तथा प्रदूषण हो और रोगी के गाड़ियों के धुए तथा औद्योगिक प्रदूषण व  औद्योगिक गर्द-गुब्बार से रोग बढ़ता हो या फिर स्टील या इस्पात की फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों में यह रोग हो जाए तो ऐसे लोगों के लिए एसिड सल्फ उपयोगी है

7. इपिकैक(Epicac)
जब किसी रोगी को दमा के साथ जी मालिश करें या उस रोगी का उल्टियां करने का मन करता हो और उसके साथ साथ कलेजे में संकुचन तथा दम घुटना इत्यादि लक्षण हो और रोगी की जीभ बिल्कुल साफ हो तो ऐसी अवस्था में इस दवा को देना उचित माना जाता है

8. अरेलिया रेसमोसा(Aralia racemosa)
जब कोई रोगी दमा के कारण सो ना सके और जैसे सोता है थोड़ी देर बाद जाग जाता है तथा उसके थोड़ी देर सोने के बाद तकलीफ बढ़ जाती है तो ऐसे में होम्योपैथी में अरेलिया रेसमोसा(Aralia racemosa) दवा का प्रयोग करना चाहिए

9. कैमोमिला
जो किसी दमा रोगी का रोग गुस्से से बढ़ता हो तो ऐसे में इस होम्योपैथिक दवाई का उपयोग करना चाहिए

10. इग्नेशिया
जब किसी दमा रोगी का रोग का कारण मानसिक तनाव चिंता या अशांति हो तथा उसके रोग में धुए से बढ़ोतरी हो तो इग्नेशिया होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना चाहिए

11. चाइना
जब किसी दमा रोगी  को बार-बार कच्ची डकारें आती हों और पाचन क्रिया ठीक से काम न करती हो और रोगी  बिल्कुल हल्का महसूस न करें तो ऐसे दमा रोग में चाइना फायदा करती है

अस्वीकरण: इस ब्लॉग पर उपलब्ध सामग्री केवल इन्फॉर्मेशनल उद्देश्य के लिए है और किसी चिकित्सक या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के परामर्श, निदान या चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए सदैव किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। Saralpathy इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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