ऐसिड कार्बोलिकम | Acid Carbolicum Uses in Hindi - Saralpathy

ऐसिड कार्बोलिकम | Acid Carbolicum Uses in Hindi

ऐलोपैथिक मत से यह सड़न दूर करनेवाली ऐण्टिसेप्टिक दवा है। वास्तवमें रक्त दूषित होकर होनेवाली सभी बीमारियाँ, जैसे-पियोरपेरैल, सेप्टिक ( सड़न पैदा करने

[ पत्थर के कोयलेके अलकतरेसे चुआया हुआ पदार्थ ] - ऐलोपैथिक मतसे यह सड़न दूर करनेवाली और ऐण्टिसेप्टिक दवा है। वास्तवमें रक्त दूषित होकर होनेवाली सभी बीमारियाँ, जैसे—पियोरपेरैल ( सूतिका ) न्वर, सेप्टिक ( सड़न पैदा करनेवाली) और नालियोंकी गैससे उत्पन्न विषैले बुखार इत्यादि में इससे बहुत फायदा दिखाई देता है। इसके अलावा - सब तरहके बदबूदार जखम, नाक का जखम, सड़ा बदबूदार स्राव, ओजिना (पीनस रोग ) और बहुत सड़ा बदबूदार पाखाना भी इसका विशेष लक्षण है। 


एपिथेलिओमा ( उपचर्म का कर्कट ), प्रुराइटिस ( खुजली ), प्रुरिगो ( सूखी तेज खुजली और दाने) तथा डिस्पेप्सिया (मन्दाग्नि ) के रोगियों को बहुमूत्र और ब्राइट्स डिजीज ( कोरण्डघटित मूत्र-ग्रन्थि-प्रदाह ), लेरिखाइटिस ( स्वरनलीका प्रदाह ), पिन कफ (कुकुर खाँसी), थाइसिस ( यक्ष्मा ) इत्यादि बीमारियोंमें बदबूदार बलगम निकलना, अजीर्ण, शराब पीनेवालोंका बमन, गर्भावस्थाकी मिचली और वमन, सड़े बदबूदार दस्तके साथ खूनी पेचिश, एक तरहका सर दर्द, जिसमें ऐसा मालूम होता है मानो कपालमें रबरकी पट्टी या डोरी बँधी है, माथेके बीचके स्थानमें जलन ( कूप्रम-सल्फ) इत्यादि बीमारियोंकी भी यह एक लाभदायक दवा है। गर्भस्राव होनेके या प्रसवके बाद जरायुके भीतर कुछ सड़कर या लोकिया (परिसव) के साबमें सड़ी बदबू रहनेपर-१बोतल कुनकुने पानीमें २४ शक्तिकी ३०-४० बूँद कार्बोलिक ऐसिड मिलाकर योनिमें डूस देकर योनि धुलवा देनेसे बदबू जल्द ही नष्ट हो जाती है और सड़न (सेप्टिक) पैदा होनेकी आशंका दूर हो जाती है। आभ्यन्तरिक३ और ६ शक्तिका सेवन करना चाहिये ।


- 1 जखम – जले घाव या अन्य किसी भी तरह के बदबूदार घावमें वेसलिन, ओलिव ऑयल ( जेतूनका तेल ) या ग्लिसरिनमें मिलाकर मरहम बना ( १ आउन्समें २x शक्तिकी १५-२० बूँद कार्बोलिक ऐसिड) लगाने और इसकी ६ या ३ शक्ति सेवन करनेसे तुरन्त फायदा होता है। पाकस्थलीके कैन्सरकी बीमारीमें कार्बोलिक ऐसिड लाभदायक होता है।


गैस्ट्रो-एण्टेराइटिस और हैजा-पाकाशय-अन्त्राशय-प्रदाहं और हैजा में— पानीमें रखे बासी भातके पानी या चावलके धोवनके पानीकी तरह और सड़े अण्डेकी तरह बदबूदार दस्त, रक्त और आँव-मिले दस्त । दस्तमें इतनी बदबू रहती है मानो पेटके भीतरवाले सभी पदार्थ सड़कर बाहर निकल रहे हैं, सोये-सोये अनजानमें ही पाखाना होता है, रोगी बेतरह कराहता और छटपटाता है, रह-रहकर चिल्लाकर से उठता है ( एपिसमें भी यह लक्षण है, परन्तु उसमें प्यास नहीं रहती और उसके के दस्तका रंग भी अलग ही होता है ) । कार्बोलिक ऐसिड- कितने लाभदायक होता है। बच्चेको जो ही स्थलोंमें शिशु-विसूचिकामें अत्यन्त के होती है, उसका रंग हरा या काला 47 रहता है। पेशाब-गँदला, काला या हरे रंगका। बच्चोंके गैस्ट्रो-ऐण्टेराइटिस ( पाकाशय ओर आँतोंका प्रदाह ) नामक बीमारीमें रोगी अकसर मारात्मक हो जाता है। इस रोगमें ऊपर लिखे लक्षणोंके साथ यदि वमन, ज्वर-विकार, छटपटाहट इत्यादि रहे तो-ऐसिड कार्बोलिक बराबर लाभ करता है।

श्वेत प्रदर - छोटी-छोटी बालिकाओंका श्वेत प्रदर (केनाबिस-सेटाइवा, कैलेडियम ) ।


ज्वर - मैलेरिया, सबिराम ज्वर, प्लीहा-जनित धीमा बुखार इत्यादि सब •तरह के ज्वरोंमें इसका प्रयोग होता है।


कार्बोलिक ऐसिड- दूषित गैससे उत्पन्न सभी बीमारियोंकी यह महौषधि है।


खाँसी- लगातार खुसखुसी कष्टदायक खाँसीमें- फिर चाहे वह ब्रॉकाइटिस ( बायुनली-प्रदाह ), लेरिजाइटिस ( स्वरयन्त्र प्रदाह ), थाइसिस ( यक्ष्मा ) जिस किसी भी बीमारीके साथ क्यों न हो, ऐसिड कार्बोलिक लाभ पहुँचाता है। हूपिङ्ग खाँसीमें- कार्बोलिक ऐसिड ६ठी शक्तिका प्रथमावस्था में प्रयोग करनेसे प्रायः उसीसे घट जाती है, बादमें–कास्टिकम ।


चेचक-रोग- चिकित्साकी गड़बड़ीके कारण चेचकके निकलते ही बहुतसे रोगियोंके घावमें कीड़े पड़ जाते है और उनमें से इतनी सड़ी गन्ध निकलती है कि उसके पास नहीं जाया जाता; जिस घरमें रोगी रहता है, उस घरमें घुसते ही ओकाई आने लगती है;-ऐसे मरणासन्न रोगीको कार्बोलिक ऐसिडकी ६ठी शक्ति २-४ घण्टे के अन्तरसे तबतक देनी चाहिये, जबतक फायदा न हो; नित्य ६-७ मात्रा सेवन कराना चाहिये और एक पाउण्ड ओलिव ऑयलमें या सैलाड-ऑयल में २-३ ड्राम २x शक्तिकी काबलिक ऐसिड या १ आउन्समें १५-२० बूँद मिलाकर उस तेलको परमें लगाकर रोगीके जखमपर लगानेसे प्रायः दो-तीन दिन में बदबू घट जाती है और चेचक के चिकित्सक द्वारा त्यागा हुआ मृतवत् रोगी भी फिर जी उठता है। इसकी हम कितनी ही बार परीक्षा कर चुके हैं। यदि चेचककी गोटियाँ थोड़ी निकलकर फिर न निकलें और उसकी वजहसे विकार पैदा हो जाय या पतनावस्था ( शीत ) आ जाय तो इस दवाकी ३० या २०० शक्तिका प्रयोग करना चाहिये । -


सदृश - आर्सेनिक, क्रियोजोट; बदबूदार रसवाले जखममें— मर्कसोल, सलफर ।


क्रम


-६, ३० शक्ति 

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